हमीदिया अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण फेल न होते, तो बच्चों की जान बच जाती’

हमीदिया अस्पताल में आग बुझाने के उपकरण फेल न होते, तो बच्चों की जान बच जाती’

भोपाल ।हमीदिया अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती ये पहली घटना नहीं है। पिछले महीने भी हमीदिया अस्पताल में बन रही नई इमारत में आग लग गई थी और दमकल के देरी से पहुंचने की वजह से नुकसान हुआ था. अगर पिछली घटना में जवाबदेही तय होती, उससे सीख लेकर आग से तत्काल निपटने के इंतजाम किए गए होते, तो शायद 4 मासूमों को अपनी जान न गंवानी पड़ती।

आग बुझाने के उपकरण फेल, बच सकती थी बच्चों की जान
घटना के एक प्रत्यक्षदर्शी, अस्पताल के ही कर्मचारी ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में लगे आग बुझाने के उपकरण काम नहीं कर रहे थे, जिसके बाद फायर बिग्रेड को बुलाया गया. अगर फायर इस्टिंगुइशर चल जाते तो शायद बच्चों की जान बच जाती. कर्मचारी के मुताबिक,

तकरीबन रात के 8:15 बजे आग लगी, पहले हम लोगों ने खुद आग बुझाने की कोशिश की. फिर आग बुझाने के उपकरण ट्राय किए, सब फेल रहे. 15 मिनट बाद फायर बिग्रेड को बोला. इसके 15 मिनट बाद फायर बिग्रेड पहुंची. कई परिजनों ने तो खुद कांच तोड़कर बच्चों को बाहर निकाला. बाद में गेट सील कर परिजनों को बाहर कर दिया गया और बच्चा वार्ड नं 5 और नं 2 में बच्चों को शिफ्ट कर दिया गया.

पिछले महीने लगी आग की घटना से सीख ली होती, तो हादसा टल सकता था
इस महीने आग हमीदिया अस्पताल परिसर में बने कमला नेहरू अस्पताल में लगी है, जबकि पिछले महीने 7 अक्टूबर को हमीदिया अस्पताल की ही निर्माणाधीन इमारत में आग लग गई थी. 7 अक्टूबर की घटना में दमकल को पहुंचने में 1 से डेढ़ घंटे का वक्त लग गया था. क्योंकि अस्पताल कर्मचारियों की मानें तो किसी ने फायर बिग्रेड को समय पर फोन ही नहीं किया था. फायर बिग्रेड हमीदिया अस्पताल से महज 5 मिनट की दूरी पर है, आधा किलोमीटर से भी कम.

सितंबर महीने में सामने आया था कि अस्पताल में कोरोना की दूसरी लहर में खरीदे गए 600 रेमडेसिविर इंजेक्शन रखे-रखे एक्सपायर हो गए थे. अस्पताल प्रबंधन ने ये कहते हुए पल्ला झाड़ लिया था कि इंजेक्शनों की जरूरत ही नहीं थी. लेकिन, जमीनी हकीकत तो ये है कि जिस वक्त इंजेक्शन यहां रखे-रखे सड़ रहे थे, तब लोग प्राइवेट बाजार में लाखों की कीमत में यही इंजेक्शन खरीद रहे थे. सीएम ने इन इंजेक्शनों को हेलीकॉप्टर से मंगवाया था, प्रबंधन की लापरवाही से एक्सपायर हो गए, पर सरकारी संसाधनों के दुरुपयोग पर किसी पर एक्शन नहीं हुआ।

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