दुर्लभ दिव्य जैन मंत्र 🔯

🔯 दुर्लभ दिव्य जैन मंत्र 🔯

यह हमारे जैनो के बहुत ही दुर्लभ मंत्र है ।
मैं आपको भेज रहा हूँ, इसे आप लोग मोबाइल में सेव करे या एक डायरी में लिख लें ।

मंत्रो के द्वारा समस्या से समाधान पाएं

1.पारिवारिक शांति एवं सौहार्द :- ॐ ह्रीं णमो लोए सव्वसाहूणं।

  1. क्रोध शमन मंत्र :- 1. ‘‘ॐ क्षौं क्षौं स्वाहा।‘‘
    1. ॐ शांते-प्रशान्ते सर्व क्रोधोपशमनी स्वाहा।
  2. ज्ञान वृद्धि मंत्र :- ‘‘ॐ णमो णाणस्स‘‘
  3. भय-मुक्ति मंत्र :- ‘‘णमो अभयदयाणं‘‘
  4. चिड़चिड़ापन मुक्ति मंत्र :- ‘‘ह्रूं।‘‘
  5. शरारत कम करने के लिए :- ‘‘चंदेस्सु निम्मलयरा, आइच्चेसु अहियं पयासयरा‘‘
  6. पारिवारिक इनसिकियोरिटी के लिए :- ‘‘ॐ अरिहे सर्व रक्ष ह्रं फट् स्वाहा।‘‘
  7. नकारात्मक विचार को कम करना :- ‘‘ॐ ह्रीं श्री भगवते पार्श्वनाथाय हर हर स्वाहा।‘‘
  8. आस-पास की नेगेटिविटी कम करने के लिए :- ‘‘ॐ अर्हम् अ सि आ उ सा नमः‘‘
  9. जीवन में मंगल करने के लिए :- ‘‘अरहंता मंगलं‘‘
  10. सगाई का मंत्र :- ‘‘ॐ ह्रीं श्री नमो वासुपूज्य प्रभवे, ममग्रह शांन्तिं कुरु कुरु स्वाहा।‘‘
  11. C.A., C.S. किसी भी Field में सफलता पाने के लिए :- ‘‘ॐ ह्रीं श्रीं चिंतामणि पार्श्वनाथाय अर्हते नमः‘‘
  12. यात्रा प्रारम्भ पूर्व मंत्र :- ‘‘ॐ फुं क्ष्वीं ह्रीं ऐं नमः हः हः हः स्वाहा।‘‘
  13. स्वयं को पावरफुल बनाने का मंत्र :- ‘‘ॐ ह्रीं श्रीं अर्ह चन्द्र प्रभवे नमः।‘‘
  14. डिसीजन मेकिंग :- ॐ ह्रीं णमो सिद्धाणं
  15. खुश रहने का मंत्र :- ‘‘ॐ ह्रां ह्रीं ह्रूं क्लीं ब्लूं श्लीं प्लीं स्वाहा।
  16. पेट की समस्या :- ॐ किले विकले स्वाहा।
  17. पाचन तंत्र की समस्या :- ॐ णमो भगवती गुणवती महामनसी स्वाहा।
  18. ब्लड प्रेशर :- ‘‘ॐ‘‘
  19. कोरोना मुक्ति मंत्र :- ॐ ह्रीं णमों लोए सव्वसाहूणं।
    गुरुदेव द्वारा दिया गया मंत्र कोरोना का :- चइत्ता भारहं वासं चक्कवट्टी महिड्हिओ।
    संती संतिकरे लोए, पत्तो गइमणुतरं।।
  20. सरदर्द मुक्ति मंत्र :- ॐ णमो परमोजिणाणं ह्रां ह्रीं
  21. स्कीम प्राब्लम :- क्षिप ॐ स्वाहा।
  22. घूटने के दर्द के लिए :- लं लं।
  23. शुगर के लिए :- ‘‘ ॐ नमो भगवओ ऋषभाय हनि हनि स्वाहा।‘‘
  24. थायराइड के लिए :- अ: सिद्धा अ:
  25. नाड़ीतन्त शक्ति वर्धक :- ॐ हंसः
  26. नींद नही आती :- ‘‘ह्रूं ह्रं।‘‘
  27. धन की समस्या से मुक्ति :-
  28. ॐ ह्रीं श्रीं का श्रीं क्लीं श्रीं महालक्ष्मी मम गृहे धनं पूरय पूरय चिंतायै दूरय दूरय स्वाहा।
  29. श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल वासिन्यै स्वाहा।
  30. ॐ श्री श्रियै नमः।
  31. ॐ ह्रीं श्रीं महालक्ष्मी पार्श्वनाथाय नमः।
  32. स्वयं का और पर इम्प्रेशन स्ट्रांग करने का मंत्र :- ‘‘ ॐ ह्रीं त्रैलोक्याधीश जिनाय नमः
  33. राजनीतिया सामाजिक पद प्राप्ति :- ॐ ह्रीं वैं णमो आयरियाणं
  34. धर्म बढ़ाने हेतु मंत्र :- ॐ अर्हं अ सि आ उ सा णमों अरंहतांण नमः
  35. सर्व शरीर रक्षा मंत्र :- ॐ ह्रीं क्लीं ब्लीं स्वाहा।
  36. वैर-शमन मंत्र :- ॐ ह्रीं श्रीं देवदत्त………………(व्यक्ति का नाम) साधय साधव।
  37. प्रेम भाव वर्धक मंत्र :- ॐ ह्रीं अर्हं णमो पदानुसारिणं परस्पर विरोध विनाशनं भवतु।
  38. परिवार में सम्मान :- ‘‘ ॐ ह्रीं श्रीं कुंथु अरं च मल्लिम, वंदे मुणिसुव्वयं नमिजिणं च। वंदामि रिट्ठनेमि पासं तह वद्धमाणं च मम मनोवांछितम पूरय पूरय ह्रीं स्वाहा।
  39. खोई हुई वस्तु की प्राप्ति :- भक्ताम्बर का 11 वां श्लोक – दृष्टवा भवन्तमनिमेष………………………..
  40. सूर्य ग्रह को प्रभावी बनाने का मंत्र :- ॐ ह्रीं श्रीं नमः पद्मप्रभवें, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  41. चंन्द्र की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमः नमश्प्रभवें, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  42. बुध की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमो शांतिनाथाय, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  43. गुरु की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमो ऋषभनाथाय, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  44. शुक्र की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमो सुविधिनाथाय, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  45. शनि की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमो मुनिसुव्रतनाथाय, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  46. राहू की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमो नेमिनाथाय, मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  47. केतू की स्थिति :- ॐ ह्रीं श्रीं नमो पार्श्वनाथाय , मम ग्रह शान्तिं कुरु कुरु स्वाहा।
  48. इष्ट सिद्धि में – ॐ ह्रीं श्रीं अर्हम ह्रूं श्री सीमंधर स्वामीने नमः स्वाहा।
  49. विशिष्ट मंत्र की आराधना – सिद्धा, ॐ ह्रीं नमः
  50. अनुकूल स्थिति का निर्माण – ह्रीं णमो उवज्झायाणं।
    ह्रीं णमो लोएसव्वसाहूणं।
    ह्रीं णमो आयरियाणं।
    ह्रीं णमो सिद्धाणं।
    ह्रीं णमो अरहंताणं।
  51. आसक्ति को कम करने के मंत्र – एगो मे सासओ अप्पा, णाणदंसण संजुओ
    सेसा में बाहिरा भावा, सव्वे संजोग लक्खणा
  52. नजर उतारना – ॐ णमो भगवते श्रीपार्श्वनाथाय ह्रीं धरणेन्द्र पद्मावती सहिताय आत्मचक्षुप्रेतचक्षु पिशाचचक्षु सर्व ग्रहनाशाय त्रासय त्रासय ह्रीं श्रीं पार्श्वनाथाय स्वाहा।

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