दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणी, सिर्फ शारीरिक संबंध कहना दुष्कर्म साबित करने के लिए नहीं पर्याप्त*
दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम टिप्पणी में कहा है कि बिना ठोस साक्ष्य के केवल शारीरिक संबंध शब्द का इस्तेमाल करना दुष्कर्म या गंभीर यौन उत्पीड़न का अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अदालत ने स्पष्ट किया कि किसी भी आरोपी को सजा देने से पहले यह साबित होना आवश्यक है कि अपराध के सभी आवश्यक तत्व पूरे हुए हों। यह टिप्पणी जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने उस अपील पर सुनवाई के दौरान की जिसमें एक आरोपी ने दुष्कर्म और पॉक्सो (POCSO) कानून के तहत दी गई सजा को चुनौती दी थी। अदालत ने कहा कि साक्ष्यों के अभाव में केवल आरोपों के आधार पर सजा नहीं दी जा सकती न्याय प्रक्रिया में निष्पक्षता सर्वोपरि है।






