चिता जले उसके पहले चेतना जगाना जरूरी

*चिता जले उसके पहले चेतना जगाना जरूरी*

सम्मान समय और स्थिति का होता है इंसान का नहीं, अभिमान करना हमारी आत्मा का स्वभाव नहीं है, जब अपना समय ठीक चल रहा हो तो अपने से नीचे वालों का अपमान नहीं करना चाहिये, निवास में जलती चिता का फोटो फ्रेम करके अवश्य लगाना चाहिए ताकि हमें हमारी अंतिम गति का आभास होता रहे, हमारे दुःख – सुख तो हमारे कर्म के अधीन है, संयोगितागंज दिगम्बर जैन समाज छावनी द्वारा पर्यूषण पर्व के अन्तर्गत दस दिवसीय प्रवचन में ललितपुर के बाल ब्रम्हचारी सतीश भैयाजी ने कहा कि शमशान में क्षणिक वैराग्य उत्पन्न होता है घर आते ही मनुष्य भूल जाता है इसे याद रखने से पाप एवं कषायों से बचा जा सकता है, अहंकार ने मृदुता, कोमलता, मनुष्यता का नाश कर रखा है, अतः मान कषाय का त्याग हितकर होगा
प्रचार प्रमुख एम के जैन ने बताया कि इस अवसर पर दिनेश बिलाला, दीपाली बिलाला एवं साथियों ने धार्मिक भजन प्रस्तुत किये, भैयाजी के प्रवचन प्रतिदिन रात्री 8 बजे से पंचायती मंदिर छावनी में अनन्त चर्तुदशी तक होगे, 2 सितम्बर को धूप दशमी के अवसर पर रांगोली द्वारा 500 फिट के विशाल मण्डल विधान की रचना श्री नेमीनाथ नवरंग मण्डल द्वारा की जा रही है

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